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शर्मनाक चेहरा-4

पहचान...
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नमस्कार आदरणीय पाठकों, आज मैं आपको एक नयी बात बताता हूँ I क्या आप अदालत का शब्द विस्तार (यानि की FULL FORM ) जानतें हैं? नहीं न,चलिए मैं बताता हूँ I बात यह है की अदालत शब्द 4 अलग अक्षरों से मिल कर बना है, अ,द,ल,त ये चारों अक्षर अपना अलग अर्थ रखतें हैं ,जो इस प्रकार हैं-
अ- आओ
दा- दो
ल-लो
त-तारीख
इस प्रकार अदालत हुआ, आओ दो लो तारीख……
ये मानसिकता है हमारे समाज में अपनी न्याय व्यवस्था के लिए I ऊपर जो बातें मैंने लिखीं हैं ये तार्किक नहीं हैं,अपितु समाज में भारत की न्याय व्यवस्था के प्रति लोगों की सोच को प्रकट करती हैं,इन्हें मैंने कुछ आदरणीय बुजुर्गों के मुख से सुना, वो कह रहे थे की कोई न्याय नहीं होता, बस जाओ पैसे दो और तारीख पे तारीख लेते जाओ I सोचने पर मजबूर करता है ये प्रसंग की क्या यही वो भारत है जहाँ युधिष्ठिर,विक्रमादित्य जैसे न्यायप्रिय सम्राट हुए थे I अब लोगों का न्याय के मंदिर से भरोसा ही उठ गया है I यह हमारे समाज के लिए एक कलंकित प्रश्न-चिन्ह है, और प्रकट करता है एक और शर्मनाक चेहरा ………..

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